जो पहुंचा अपने घर वो मजदूर हूँ हाँ मैं मजबूर हूँ। जो पहुंचा अपने घर वो मजदूर हूँ हाँ मैं मजबूर हूँ।
अब तो हुकूमत ने भी के दिया आत्मनिर्भर बनो लगता है हुकूमत का भी ज़मीर मर गया। अब तो हुकूमत ने भी के दिया आत्मनिर्भर बनो लगता है हुकूमत का भी ज़मीर मर गया।
घरों में फिर हो रहे हैं रिश्ते गुलज़ार इन दिनों! घरों में फिर हो रहे हैं रिश्ते गुलज़ार इन दिनों!
कौन जानता था कि वक्त के तेवर यूँ भी पलटते हैं! कौन जानता था कि वक्त के तेवर यूँ भी पलटते हैं!
हम क्यों है फंसे वो अफवाहों से हैं घरों में हम भिखारी से हैं दरों में। हम क्यों है फंसे वो अफवाहों से हैं घरों में हम भिखारी से हैं...
ओ प्यारे भईया! तुम्हें पता है ना अपनी रक्षा कर हमें है देश बचाना! ओ प्यारे भईया! तुम्हें पता है ना अपनी रक्षा कर हमें है देश बचाना!